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वीर तुम कहाँ हो ? आओ आज तुम्हारी जरुरत हैं , मानवता का त्याग करो , न्याय और दया का त्याग करो , आज राष्ट्र के खिलाफ स्वर उठा हैं , जाओ सर कलम करके आओ । वीर तुम कहाँ हो ? आओ आज तुम्हारी जरुरत हैं , लोकतंत्र का त्याग करो , लोक-भर्सना का त्याग करो , आज माँ के आबरू पर हाथ उठा हैं , जाओ सर कलम करके आओ । वीर तुम कहाँ हो ? आओ आज तुम्हारी जरुरत हैं , स्त्री पुरुष के भेद का त्याग करो , जाति,धर्म ,क्षेत्र का त्याग करो , आज देश के अखंडता पर चोट हुई हैं , जाओ सर कलम करके आओ । वीर तुम कहाँ हो ? आओ आज तुम्हारी जरुरत हैं , तलवार उठाओ , माँ से आशीर्वाद लो, और कूद पड़ो युद्ध में , वापस मत आना , जबतक एक भी देशद्रोही जिन्दा हो , वीर तुम कहाँ हो ? आओ आज तुम्हारी जरुरत हैं । Copyright@sankalp mishra