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Showing posts from July, 2012
द्रौपदी के चीरहरण पर तुम मौन हो, पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ? नदियाँ बही थी खून की इसी धरती पर , भूमि के लिए जान देने वाले या कुछ और हो . तुम अभागे अर्जुन या की कर्ण हो , अमेरिका कृष्ण या शकुनी सोनिया हो ,  पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ? लड़ रहा हैं एक वृद्ध सच के लिए , डंका के चोट पर तुम बोल दो , अब हम या ये तख़्त रहेगा , उठ रही हर गली के लहू की पुकार है ये , द्रौपदी के चीरहरण पर तुम मौन हो, पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ? Copyright@Ranjan Mishra
अँधेरा जब हद से ज्यादा हो , रोशनी कराई जाती हैं  धुप से बचने के लिए ,झोपडी बनाई जाती हैं , आज के नेता इतने व्यस्त हैं देश सेवा में , उनके संतानों की गिनती कोर्ट से कराई जाती हैं . Copyright@Ranjan Mishra