द्रौपदी के चीरहरण पर तुम मौन हो,
पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ?
नदियाँ बही थी खून की इसी धरती पर ,
भूमि के लिए जान देने वाले या कुछ और हो .
तुम अभागे अर्जुन या की कर्ण हो ,
अमेरिका कृष्ण या शकुनी सोनिया हो , 
पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ?
लड़ रहा हैं एक वृद्ध सच के लिए ,
डंका के चोट पर तुम बोल दो ,
अब हम या ये तख़्त रहेगा ,
उठ रही हर गली के लहू की पुकार है ये ,
द्रौपदी के चीरहरण पर तुम मौन हो,
पूछते क्यों नहीं खुद से तुम कौन हो ?
Copyright@Ranjan Mishra

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