आसा में भी 'राम' हैं , जिसे ये भगवान बनाते हैं , 'ये तैमूर ' कही और जन्म ले , यहाँ के बागो में समझदारी नहीं उगती । मेरे बच्चे के नाम से , मेरे निवाले तक का फरमान ये रखते हैं , 'ये तैमूर ' कही और जन्म ले , यहाँ के बागों में आज़ादी नहीं उगती । विकास की लॉटरी निकालने वाले , मरते दम तक आरक्षण देने की बात करते हैं , 'ये तैमूर' कही और जन्म ले , यहाँ के बागों में प्रतिभा नहीं उगती हैं । मेरे पसीने को कालाधन बताते हैं , और अमीरों को चढ़ावा चढाते हैं , 'ये तैमूर ' कही और जन्म ले , यहाँ के बागों में सच्चाई नहीं उगती । #authorsankalpmishra @Sankalp Mishra
Posts
Showing posts from December, 2016