आसा में भी 'राम' हैं ,
जिसे ये भगवान बनाते हैं ,
'ये तैमूर ' कही और जन्म ले ,
यहाँ के बागो में समझदारी नहीं उगती ।
मेरे बच्चे के नाम से ,
मेरे निवाले तक का फरमान  ये रखते हैं ,
'ये तैमूर ' कही और जन्म ले ,
यहाँ के बागों में आज़ादी नहीं उगती ।
विकास की लॉटरी निकालने वाले ,
मरते दम तक आरक्षण देने की बात करते हैं ,
'ये तैमूर' कही और जन्म ले ,
यहाँ के बागों में प्रतिभा नहीं उगती हैं ।
मेरे पसीने को कालाधन बताते हैं ,
और अमीरों को चढ़ावा चढाते हैं ,
'ये तैमूर ' कही और जन्म ले ,
यहाँ के बागों में सच्चाई नहीं उगती ।

#authorsankalpmishra @Sankalp Mishra

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