वो न हमसे जुदा हैं , न ही ख़फ़ा हैं
बारिश होने वाली हैं , आसमान में उड़ा हैं ,
देर सबेर ज़मीन पर ही आएगा ,
मिट्टी हैं न  और कहाँ जायेगा ।।

पुचकारेगा , पोलाहेगा
दुत्कारेगा , गरियायेगा ,
फिर तुम्हे रोज रुलाएगा ,
तुम भी हिसाब लिखते रहो ,
नेता हैं न , चुनाव में फिर हाथ जोड़े आएगा ।।

Copyright@Sankalp Mishra

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