सच को सच लिख सके अब वो अखबार कहाँ , 
अपनी आँखों से सच देख सके वो अब वो इंसान कहाँ, 
प्रोग्राम बन गए हैं लोग ब्रॉडकास्ट होने वाले, 
खुद के आँख, नाक, कान, दिमाग वाले अब इंसान कहाँ  । 

Copyright@Sankalp Mishra

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