Tum kaun ho ?

 तुम कौन हो ?

चुपके से मुझे बता दो ,

मैं किसी को नहीं बताऊंगा ,

विश्वास करो ,

मैं तुम्हारी तरह गिरगिट नहीं ।

न तुम ईमानदार हो ,

ना देशभक्त ,

तुम्हे न अपनी चिंता हैं ,

और न जनता की ,

तुम्हे न परिवार की चिंता हैं ,

और न पार्टी की ,

सब डरे हुए हैं ,

सब परेशान है ,

बहुत मर गए ,

बहुत मरने के कगार पर हैं ,

बताओ न तुम कौन हो ?

क्या चाहते हो ?

भगवान हो ?

या बनना चाहते हो ?

दलाल हो ?

पर किसके ?

या शैतान हो ?

पर क्यों ?

या कोई सनकी पागल हो ?

बता दो न ,

करोड़ो लोग ,लाखो गांव ,

हज़ारो शहर ,

बस तुम्हारी वजह से ,

दिन -रात , सुबह - शाम ,

सब कुछ छोड़छाड़ कर ,

तुम्हे झेल रहे हैं ,

बता तो दो आखिर तुम हो कौन ?

चलो अपनी नहीं तो लोगो की ,

खता बता दो ,

हज़ारो लोग इलाज बिना मर गए ,

जिम्मेदार कौन बता दो ,

कुछ तो बताओ ,

या केवल भाषण दोगे ?

जनता कराह रही हैं ,

त्राहिमाम -त्राहिमाम कर रही हैं ,

पता नहीं तुम किस मद में हो ,

न दिखाई दे रहा हैं ,

न सुनाई दे रहा हैं ,

ऐसा तो रावण भी न था ,

ऐसा कंश भी न रहा होगा ,

न दया ,

माया ,

न पात्रता ,

न सोच ,

न समाधान ,

कौन हो  कहाँ से आये ही बता दो न ,

चुपके से मुझे ,मैं किसी को नहीं बताऊंगा ,

विश्वास करो मैं तुम्हारी तरह गिरगिट नहीं हूँ ।

Copyright@Sankalp Mishra

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