अगर सिकंदर को पहले रोका होता
अगर सिकंदर को पहले रोका होता , तो आज हमारा खून साफ़ होता ? लंगोट नीलाम न होता , और मस्तक गुलाम न होता , हम हर बार देर से जागे , लेकिन तब तक हमारा मान-मर्दन हो चूका होता , हमारी धरती लूट चुकी होती , और जनता टूट चुकी होती , अगर सिकंदर को पहले रोका होता , तो आज हमारा खून साफ़ होता ? हम हर बार लड़े हैं , हम हर बार जीते हैं , लेकिन तब जब कुछ नहीं बचा होता , यह कविता कुंठित नहीं , चेतावनी हैं , तुम आज फिर सो रहे हो , भोग -विलाश में खो रहे हो , एक अँगरेज़ फिर व्यापार करने आया हैं , कल मत कहना कोई तो चेताया होता , भविष्य के खतरे को समझाया होता हैं , अगर सिकंदर को पहले रोका होता , तो आज हमारा खून साफ़ होता ?