यह सड़क हैं या चौराहा हैं ?
लगता तो इंसान हैं दिखता मगर साया हैं ,
यकीं तो आज भी हैं इस शख्स पर ,
लेकिन कहना पड़ेगा ' आदमी ' बेचारा हैं ।
मंजिल जब मालुम न हो , राह कौन सही हैं ?
कंधे पर उठा लिए हैं बोझ बहुत सारा ,
और पैर को मालूम नहीं हैं ,
यह सड़क हैं या चौराहा हैं ?
लगता तो इंसान हैं दिखता मगर साया हैं |
Copyright@Sankalp Mishra

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