तुम कब तक बचोगे , आखिर कब तक ?
तुम कभी तो टीबी देखोगे ,
या अख़बार पढ़ोगे ,
कभी तो बसों में या ट्रेनों में चर्चा करोगे ,
तभी , जी तभी मैं नफरत की बीज़ बो दूंगा ,
खाद और पानी रोज डालूँगा
और एक दिन तुम्हे कातिल बना दूंगा ।

तुम कब तक बचोगे , आखिर कब तक ?
तुम कभी तो सिनेमा देखोगे ,
कभी तो स्कूल - कॉलेज जाओगे ,
आज नहीं तो कल वीडियो  देखोगे ही,
तभी , जी तभी मैं हवस की बीज़ बो दूंगा ,
खाद- पानी रोज डालूँगा ,
और एक दिन तुम्हे बलात्कारी बना दूंगा



तुम कब तक बचोगे , आखिर कब तक ?
तुम कभी तो टीबी देखोगे ,
या अख़बार पढ़ोगे ,
कभी तो बसों में या ट्रेनों में चर्चा करोगे ,
तभी , जी तभी मैं नफरत की बीज़ बो दूंगा ,
खाद और पानी रोज डालूँगा
और एक दिन तुम्हे कातिल बना दूंगा ।

तुम कब तक बचोगे , आखिर कब तक ?
तुम कभी तो सिनेमा देखोगे ,
कभी तो स्कूल - कॉलेज जाओगे ,
आज नहीं तो कल वीडियो  देखोगे ही,
तभी , जी तभी मैं हवस की बीज़ बो दूंगा ,
खाद- पानी रोज डालूँगा ,
और एक दिन तुम्हे बलात्कारी बना दूंगा ।

तुम कब तक बचोगे , आखिर कब तक ?
तुम कभी तो कॉलेज में दाखिला लोगे ,
तुम कभी तो नौकरी की तलाश करोगे ,
आज नहीं तो कल सरकारी मदद चाहिए होगी ,
तभी , जी तभी मैं जाति और धर्म का जहर बो दूंगा ,
खाद- पानी रोज डालूँगा ,
और एक दिन तुम्हे इंसान से हैवान बना दूंगा ।
Copyright@Sankalp mishra

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