अब तुम्हे मैं क्या कहूँ ?
तुम्हारे गाली पर भी लोग ताली बजाते हैं .
जीत गए जुआ तो चीरहरण भी जायज हैं ,
वाह रे! जम्होरिअत हम तुम्हारा लोहा मानते हैं .
खुदा भी खौफ खाता हैं इन हुक्मरानों से ,
मौत के सौदागर जो  ये ठहरे .
जिन्हें जिम्मेदारी थी  मुझे जिन्दा रखने की ,
वही मेरे सांसो के खरीदार निकले .
 जो हुस्न के मालिक हैं वो दिल की भाषा कहाँ समझते हैं ,
और जो दिलवाले हैं उन्हें सौगाते हुस्न नहीं मिलता .

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