इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया , तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया ,
कहत रहले कि लाखों कमायब ,
भूजा के भईले भाव भैया ,
लोगवा अब आपन लइकन के पढ़ावे से डेराता ,
कहत बा हो जाई इंजिनियर साहब के हाल भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
खेतवा बेची-बेची बाबूजी पढैले ,
अब हो ता घरवा नीलाम भैया ,
कानपूर रहले ,पटना रहले ,लेहले ज्ञान दिल्ली के ,
सारा पढाई भइल कोदो के भाव भाव भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
कहत रहले कि पढ़ के मकान बनाइब ,
बना देहले घरवा के मचान भैया ,
खात रहले रोजे पिज़्ज़ा -बर्गर ,
अब खाले बाबूजी के दुत्कार भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
भैया रहले बाबूजी के बुढौती के लाठी ,
ई तोड़ देहले खटिया के तार भैया ,
सुने नी करेले बड़ी फाइन कविता ,
अब कविते में लोग इनकर उढावे मज़ाक भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया ,
कहत रहले कि लाखों कमायब ,
भूजा के भईले भाव भैया ,
लोगवा अब आपन लइकन के पढ़ावे से डेराता ,
कहत बा हो जाई इंजिनियर साहब के हाल भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
खेतवा बेची-बेची बाबूजी पढैले ,
अब हो ता घरवा नीलाम भैया ,
कानपूर रहले ,पटना रहले ,लेहले ज्ञान दिल्ली के ,
सारा पढाई भइल कोदो के भाव भाव भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
कहत रहले कि पढ़ के मकान बनाइब ,
बना देहले घरवा के मचान भैया ,
खात रहले रोजे पिज़्ज़ा -बर्गर ,
अब खाले बाबूजी के दुत्कार भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
भैया रहले बाबूजी के बुढौती के लाठी ,
ई तोड़ देहले खटिया के तार भैया ,
सुने नी करेले बड़ी फाइन कविता ,
अब कविते में लोग इनकर उढावे मज़ाक भैया ,
इंजिनियर भईले बेरोजगार भैया ,
तोड़ देहले बाबूजी के आस भैया।
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