कभी महलों से सिक्के मत लो, वो पहले सिक्के देंगे और फिर पूरी दुनियां को बताएँगे कि वो तुम्हे पालते हैं , जैसे कुत्ते पाले जाते हैं , बिल्ली पाली जाती हैं , तुम्हे हर गली , हर नुक्कड़ पर बदनाम करेंगे, तुम्हारी ईज्जत नीलाम टांगी जायेगी । कभी महलों से सिक्के मत लो, भूखे सो जाओ , आसमान के नीचे धरा के ऊपर रह लो , अपनी निर्धनता को जेवर बना कर पहनो , सहो , संघर्ष करो अगर सह न पाओ तो मर जाओ , लेकिन अपना स्वाभिमान मत बेचो । Copyright@Sankalp Mishra
Posts
Showing posts from August, 2019
- Get link
- X
- Other Apps
तुम मुझे अपमानित करो , मुझे गाली दो , मुझे मारो- पीटो, मेरी हत्या कर दो , क्योंकि मैं हिन्दू नहीं हूँ , न मुस्लिम हूँ , न ईसाई , न पारसी , न बौद्ध , न जैन । तुम मेरी जबाब काट दो , क्योंकि न मैं हिंदी बोलता हूँ, न अंग्रेजी , न उर्दू और न ही फ़ारसी , मुझे न मराठी आती हैं , न तामिल, न बंगला मुझे कोई भाषा नहीं आती । तुम मुझे जेल में डाल दो क्योंकि न भारतीय हूँ , न चीनी , न अमेरिकन, मैं किसी देश का हूँ ही नहीं । तुम मेरा जीना हराम कर दो , क्योंकि न मैं ब्राह्मण हूँ , न राजपूत , न बनिया , और न ही हरिजन , मेरा कोई जाति नही , मेरी कोई पहचान नहीं , मैं तुम्हारा वोटबैंक नही हूँ , और न ही तुम्हारा खरीददार हूँ , मुझे न हथियार खरीदना हैं , और न ही साजो - सामान खरीदना हैं , मैं तुम्हारे झूठ को पकड़ लेता हूँ , और तुम्हारे झूठे वादों को पकड़ लेता हूँ , इसलिए कहता हूँ , मुझे बदनाम करो , अपमानित करो , मारो- पीटो , मेरा हत्या कर दो , क्योंकि मैं स्वतंत्र पक्षी हूँ , ये हवा , ये नदी , ये जंगल , ये पहाड़ , और मैदान सब मेरे हैं , मुझे तुम्हारी कोई जरुरत नहीं ...
- Get link
- X
- Other Apps
वो झूठ को बेचता हैं सच की चासनी लगाकर , वो मौत बेचता है जिंदगी बताकर , उसका यही तो हुनर हैं दोस्तों , वो बारूद बेचता है शांति की क्रांति चलाकर । तुम ना खरीद पाओगे तो पड़ोसी खरीद लेगा , यही बोलकर वो सबको सामान बेच गया , लोग जब तक समझे कि असली माजरा क्या हैं , वो अपनी सारी दुकान बेच गया । मैं इंतजार में था हुनर दिखाने के , वो भीड़ जुटा के मदारी दिखा गया , Copyright @Sankalp Mishra
मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं
- Get link
- X
- Other Apps
मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं , जिसे तुम आजादी कहो वो मंज़ूर हैं , न हक , न हक़ीक़त , न हुकूमत की बात करेंगे , झूठ ही गर सच हैं तो सच की बात करेंगे , झंडे उठाएंगे , गीत गाएंगे , तुम्हारे भाषण सुनेगे और दोहराएंगे , नारे लगाएंगे , और तुम्हारी दी हुई आज़ादी का जश्न मनाएंगे । मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं , जिसे तुम आजादी कहो वो मंज़ूर हैं , तुम जो बोलो वो सुनेगे , तुम जो लिखो वो पढ़ेंगे , जो तुम दिखाओ वो देखेंगे , जो तुम बोलो वो सुनेगे , जो तुम कहो वो करेंगे , जमीन तुम्हे देंगे , पानी तुम्हे देंगे , जंगल तुम्हे देंगे , जवानी तुम्हे देंगे , रवानी तुम्हे देंगे , तुम कहोगे तो जान भी देंगे , लेकिन आज़ादी का जश्न मनाएंगे । Copyright@Sankalp Mishra