वो झूठ को बेचता हैं सच की चासनी लगाकर ,
वो मौत बेचता है जिंदगी बताकर ,
उसका यही तो हुनर हैं दोस्तों ,
वो बारूद बेचता है शांति की क्रांति चलाकर ।

तुम ना खरीद पाओगे तो पड़ोसी खरीद लेगा ,
यही बोलकर वो सबको सामान बेच गया ,
लोग जब तक समझे कि असली माजरा क्या हैं ,
वो अपनी सारी दुकान बेच गया ।

मैं इंतजार में था हुनर दिखाने के ,
वो भीड़ जुटा के मदारी दिखा गया ,
Copyright @Sankalp Mishra

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