मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं

मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं ,
जिसे तुम आजादी कहो वो मंज़ूर हैं ,
न हक , न हक़ीक़त , न हुकूमत की बात करेंगे ,
झूठ ही गर सच हैं तो सच की बात करेंगे ,
झंडे उठाएंगे , गीत गाएंगे ,
तुम्हारे भाषण सुनेगे और दोहराएंगे ,
नारे लगाएंगे ,
और
तुम्हारी दी हुई आज़ादी का जश्न मनाएंगे ।

मुझे तुम्हारी हर शर्त कबूल हैं ,
जिसे तुम आजादी कहो वो मंज़ूर हैं ,
तुम जो बोलो वो सुनेगे ,
तुम जो लिखो वो पढ़ेंगे ,
जो तुम दिखाओ वो देखेंगे ,
जो तुम बोलो वो सुनेगे ,
जो तुम कहो वो करेंगे ,
जमीन तुम्हे देंगे ,
पानी तुम्हे देंगे ,
जंगल तुम्हे देंगे ,
जवानी तुम्हे देंगे ,
रवानी तुम्हे देंगे ,
तुम कहोगे तो जान भी देंगे ,
लेकिन आज़ादी का जश्न मनाएंगे ।

Copyright@Sankalp Mishra

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