आम आदमी और राजनीति
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असंख्य लोग तैयार हैं समर्थन के लिए ,
धन और वोट देने के लिए ,
तेरीआवाज पर झंडा उठाने के लिए ,
लोग परिवर्तन के लिए तैयार हैं ,
लेकिन तुम नहीं आओगे ,
तुम नेता नहीं बनोगे ,
तुम्हारा अपना परिवार हैं ,
तुम्हे जो जून की रोटी कमानी हैं ,
तुम्हारी मज़बूरी हैं नौकरी करना ,
तुम नहीं आओगे ?
फिर कौन आएगा ?
और अगर तुम नहीं आओगे ,
तो क्या तुम्हे अधिकार हैं ?
प्रश्न करने का ?
भ्रष्ट नेताओं पर,
भ्रष्ट अधिकारी और न्यायपालिका पर ,
शोषण और अत्याचार पर ,
दो कौड़ी के सरकार पर ,
नहीं |तुम्हे अधिकार नहीं ।
तुम अगर गन्दगी साफ़ नहीं करते ,
तो बंद कमरे में भाषण मत करो ,
तुम्हे अगर नेता नहीं बनना ,
तो फिर सहो चुपचाप ,
जो भी हो रहा हैं सहो । चुपचाप ।
तुम आम आदमी इसी लायक हो ।
तुम्हे भगत सिंह चाहिए
लेकिन वो पडोसी होना चाहिए ,
तो सुनो आम आदमी ,
तुम इसी लायक हो ,
जो भी तुम्हारे साथ हो रहा हैं ,
बिलकुल सही हो रहा हैं ,
तुम इसी के लायक हो ।
Copyright@Sankalp Mishra

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