चार पैसे ज्यादा मिला जो तुरंत निकल गया ,
उसकी जय - जयकार होते देखिए ,
जो अपने वादे को निभाने को कटिबद्ध हैं ,
उसको रोज अपमानित होते देखिए ।

अजीब दुनियां हैं इसके तरीके भी निराले हैं ,
जो सच के लिए लड़ता रहा अकेला रह गया ,
और जो झूठ पर झूठ बोलता रहा हर कदम ,
उसको अब  बुलंदी का गीत गाते हुए देखिए ।

जो उसके कंधे पर पैर रख कर ऊपर चढ गया ,
उसी को उसका झंडा लहराते हुए देखिए ,
जो नमक आदयगी का रट लगाए लड़ता रहा ,
उसी पर सारे " लांछन " लगते हुए देखिए ।

किताबों में पढ़ाया गया सच की  जीत होती है ,
सच के धरातल पर इसे जुमला बनते देखिए ,
जो आगे जाने के लिए कुछ भी कर सकता है ,
उसको बुलंदी का खिताब लेते हुए देखिए ।

Copyright@Sankalp Mishra

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