दलित का नामकरण
दलित का नामकरण पहले डोम ,चमार ,दुसाध पाशी ,धोबी और अनेक थे . फिर उन्हों ने एक जमात बनाई, और सब लोगो को बताई , कि वे भगवान के सपूत हैं , "हरिजन " हैं ये सबको समझाई , इसी नाम से चिपके रहे वर्षो , इन्तजार करते रहे चमत्कार का , रहनुमा उनके ,उन्हें बेचते रहे , और ये लोलीपोप चूसते रहे . वर्षो बाद भीर एक सुझाव आया , फिर से अपना नाम बदलवाया , अब इन्हें दलित कहते हैं , नए पैक में वही सामान बेचते हैं, उनके तथाकथित भगवान , उन्हें बहलाते है ,फुसलाते हैं , फिर भी काम न हो पाए , तो बरगलाते हैं , और वोट ले कर उड़न-छू हो जाते हैं. दलित के देवताओ के भाषण सुने हमने , वे उन्हें अलगाववादी बनाते है , धर्म-परिवर्तन कि राह दिखाते हैं . सदियो पहले हुए अन्याय , अत्याचार ,बलात्कार और अपमान , कि कहानी सुनाते है, उन सब की याद दिला-दिला कर , उन्हें डराते है , और फिर वोट ले कर उड़न-छू हो जाते है . मैंने पूछा था एक ऐसे ही देवता से , तुमने क्या किया उथान के लिए ? उसने सारे जबाब दिए , कि हमने पत्थर कि मूर्तियाँ बनवाई , पार्क बनवाए , हथियो का झुण्ड खड़ा किया , हमने भाषण दिए , और सच का परचम फहराया . मैंने कहा च...