कौन कितना गुह लपेटे हैं ,होड़ लग गयी हैं दोस्तों ,
आज की सियासत बड़ी रंगीन हो गयी हैं दोस्तों .
माथे पर गुलामी लिखी हैं ,नींद कैसे खुले दोस्तों ,
इस मुल्क की किस्मत ही कुछ निराली हैं दोस्तो. 
Copyright@ Sankalp Mishra

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