नेता उवाच


सरहदों पर बहने वाले खून का कोई मोल थोड़ी हैं ,
हमने मुर्गे पाल रखे थे समय आने पर कट गए .
अपने नाकामियों का ठीकरा किस पर फोड़ते ,
हमने दंगा करा दिए सारे पाप गंगा में धुल गए .
गाँधी ,सुभाष ,पटेल को कहाँ खोजते तुम ?
वो पुराने ज़माने थे ,गुजर गए .
हम चुनाव की चासनी बनाने में व्यस्त थे ,
चीनी मेहमान बनकर बैठ गए .
Copyright@ Sankalp Mishra

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