जब भी मेरे घाव भरने लगते हैं ,
सियासत वाले नमक छिड़कने लगते हैं ,
सदियों से बेरोजगार बैठे हैं मेरे नौजवान ,
मौसमी दंगे इन्हें रोजगार दिला देते हैं ,
जिनके घरों में चाकू नहीं सब्जी काटने को ,
सियासत उन्हें तलवार थमा देती हैं .
Copyright@Sankalp Mishra
आज कल बहुत प्यार आ रहा हैं ,
लगता हैं अब चुनाव आ रहा हैं .
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सियासत वाले नमक छिड़कने लगते हैं ,
सदियों से बेरोजगार बैठे हैं मेरे नौजवान ,
मौसमी दंगे इन्हें रोजगार दिला देते हैं ,
जिनके घरों में चाकू नहीं सब्जी काटने को ,
सियासत उन्हें तलवार थमा देती हैं .
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आज कल बहुत प्यार आ रहा हैं ,
लगता हैं अब चुनाव आ रहा हैं .
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