सच पर पहरा बहुत हैं पर मैं बोलूंगा ,
तुम्हारी तरह सब जुमलेबाज थोड़े हैं ,
नोटबंदी के दंश को झेले हैं लोग बोलेंगे ,
सबके आँखों पर धर्म की पट्टी थोड़े हैं ,
यहाँ सबका अपना मकान - दूकान  हैं ,
तुम्हारी तरह सब किरायेदार थोड़े हैं ।

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