ये इश्क़ , बेरुखी और तन्हाई कहाँ ले जायेगी ,
लगता हैं कमबख्त फिर मैखाना ले जायेगी ।
तेरी कमी इस तरह से फैली हैं मेरी जिन्दगी में ,
लगता हैं साकी मुझे फिर आजमाने ले जाएगी ।
तुम्हे भूल ही नहीं पाता पलभर के लिए भी कभी,
लगता हैं ये आशिकी अब जनाजे के साथ जायेगी ।
तुम मुझे याद भी नहीं करती अच्छा हैं जमाने के लिए,
गर तुम याद कर लो मुझे ,बहुतो की जान जायेगी ।
Copyright@Sankalp mishra
लगता हैं कमबख्त फिर मैखाना ले जायेगी ।
तेरी कमी इस तरह से फैली हैं मेरी जिन्दगी में ,
लगता हैं साकी मुझे फिर आजमाने ले जाएगी ।
तुम्हे भूल ही नहीं पाता पलभर के लिए भी कभी,
लगता हैं ये आशिकी अब जनाजे के साथ जायेगी ।
तुम मुझे याद भी नहीं करती अच्छा हैं जमाने के लिए,
गर तुम याद कर लो मुझे ,बहुतो की जान जायेगी ।
Copyright@Sankalp mishra
Comments
Post a Comment