मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
क्यों ?
नहीं जनता ।
कब तक ?
नहीं जनता ।
किसलिए ?
नहीं जनता ।
किसका ?
ये जानता हूँ
लेकिन बताऊंगा नहीं ,
कभी नहीं , किसी से नहीं ।
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
ये जानते हुए भी कि ये खत्म नहीं होगा ,
मैं खत्म हो जाऊंगा ,
ये दुनियां खत्म हो जायेगी ,
सब लोग खत्म हो जायेंगे ,
लेकिन
मेरा इन्तजार नहीं ।
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
शब्दों के परे ,
प्रश्नों से परे ,
कारण से परे ,
परिणाम से परे ,
इच्छा से परे ,
उन्मीद से परे ,
दोष से परे ,
द्वेष से परे ,
भूत से परे ,
भविष्य से परे ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ।
तुम्हारा हक़ हैं पूछो ,
लेकिन मैं जबाब नहीं दूंगा ,
तुम्हारा हक़ रोको , टोको,
लेकिन मैं नहीं रुकुंगा ,
जब तक वो आ न जाए ,
जब तक मैं मिल न लूँ ,
जब तक सब समर्पित न कर दूँ ,
जब तक मुक्त न हो जाऊं ,
हवाओं में ,
नदियों में ,
पहाड़ों में ,
पतियों में ,
पेड़ों में ,
पक्षियों में ,
जब तक स्वतन्त्र न हो जाऊं ,
जीवन से ,
मृत्यु से ,
काल से ,
कलंक से ,
भय से ,
जय से ,
पराजय से ,
चर से ,
अचर से ,
देव से ,
दानव से ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ।
Copyright@Sankalp mishra
क्यों ?
नहीं जनता ।
कब तक ?
नहीं जनता ।
किसलिए ?
नहीं जनता ।
किसका ?
ये जानता हूँ
लेकिन बताऊंगा नहीं ,
कभी नहीं , किसी से नहीं ।
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
ये जानते हुए भी कि ये खत्म नहीं होगा ,
मैं खत्म हो जाऊंगा ,
ये दुनियां खत्म हो जायेगी ,
सब लोग खत्म हो जायेंगे ,
लेकिन
मेरा इन्तजार नहीं ।
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
शब्दों के परे ,
प्रश्नों से परे ,
कारण से परे ,
परिणाम से परे ,
इच्छा से परे ,
उन्मीद से परे ,
दोष से परे ,
द्वेष से परे ,
भूत से परे ,
भविष्य से परे ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ।
तुम्हारा हक़ हैं पूछो ,
लेकिन मैं जबाब नहीं दूंगा ,
तुम्हारा हक़ रोको , टोको,
लेकिन मैं नहीं रुकुंगा ,
जब तक वो आ न जाए ,
जब तक मैं मिल न लूँ ,
जब तक सब समर्पित न कर दूँ ,
जब तक मुक्त न हो जाऊं ,
हवाओं में ,
नदियों में ,
पहाड़ों में ,
पतियों में ,
पेड़ों में ,
पक्षियों में ,
जब तक स्वतन्त्र न हो जाऊं ,
जीवन से ,
मृत्यु से ,
काल से ,
कलंक से ,
भय से ,
जय से ,
पराजय से ,
चर से ,
अचर से ,
देव से ,
दानव से ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ,
मैं इन्तजार कर रहा हूँ ।
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