जब भी मेरे घाव भरने लगते हैं ,
सियासत वाले नमक छिड़कने लगते हैं ।
सदियों से बेरोजगार बैठे हैं मेरे नौजवान ,
मौसमी दंगे इन्हें रोजगार दिला देते हैं ।
जिनके घरों में चाकू नहीं सब्जी काटने को ,
सियासत वाले उन्हें तलवार थमा देते हैं ।
Copyright@Sankalp Mishra

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