तुम जो चाहते हो वो मैं बोलूं ?
ये कभी नहीं होगा ,
तुम्हारी जुबान जो गन्दी हैं ,
वो मेरे मुँह में कभी नही होगा ।
ये कभी नहीं होगा ,
तुम्हारी जुबान जो गन्दी हैं ,
वो मेरे मुँह में कभी नही होगा ।
सत्ता आती हैं जाती हैं लेकिन ,
मेरा सौदा कभी नहीं होगा ,
जिसको बिकना हैं वो बिके ,
सुन ! ये मेरा मकान हैं ,
कभी नीलाम नहीं होगा ।
मुझे पत्थर से डराते हो कि सत्ता हैं ,
मैं तेजाब हूँ लोहे से नहीं डरता ,
पहली बार भरपेट मिला हैं भोजन इतरा रहे हो ?
मैं रियासत को खिलाने वाला हूँ ,
मुझे भूख नहीं लगता ।
हाथी मर भी जाए तो लाख टके की होती हैं ,
मैं तुम्हारे तरह कुत्ता नहीं पालता ,
दूसरे के सिंदूर से ऐहवाती बनने वाले सुन ,
हमारी संताने आज भी जिन्दा हैं ।
Copyright@Sankalp mishra
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