आज नींद नहीं आई ,
जानती हो क्यों ?
नहीं ?
अरे तुम्हारी याद आ गई ,
और मैं रातभर चाँद को ताकता रह गया ,
सुबह जब चाँद जाने लगा तो याद आया ,
अरे ! सुबह हो गई ,
और मुझे नींद नहीं आई ,
तुम्हारी सूरत तो दिखी ही नहीं ,
अब दिल्ली से ' सूरत ' दीखता भी तो नही ।
क्या तुम जानती हो ?
पिछले साल भी मुझे नींद नहीं आई थी ,
मैंने एक ' गुड़िया ' ख़रीदा था ,
और उसे ही रातभर देखता रह गया था ,
सुबह जब रौशनी आई तो याद आया ,
अरे ! सुबह हो गई ,
और मुझे नींद नहीं आई ,
तुम्हारी सूरत तो दिखी ही नहीं ,
अब दिल्ली में ' सूरत ' दीखता भी तो नहीं ।
Copyright@Sankalp mishra

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