गाँधी जयंती

गाँधीजी बारी आई ,
बेच उन्हें बाज़ार में ,
ज्यादा भाव मिले तब,
कर उन्हें नीलाम रे .
आज उनकी जयंती ,
फोटो खूब खिचाव रे ,
सार्या,अहिंसा और भाईचारे का ,
गाना खूब गाव रे .
जहाँ हो दुकान सजानी,
कर वहां जय-जयकार रे,
निकल जाये काम जब तेरा ,
मार उन्हें तुम लात रे .
जिसने अपनाया गाँधी टोपी ,
लाठी वही चलाय रे ,
गाँधी की लंगोटी पहन कर ,
खरबों की लूट मची रे,
अजब गाँधी की रीत भैया ,
गजब गाँधी की प्रीत रे.

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