बाज़ार

मैं दिल बेचता हूँ
और दिमाग की खरीददारी करता हूँ ,
मैं प्यार बेचता हूँ
और pyaale की खरीददारी करता हूँ .
मैं जमीन पर बैठे लोगो को ,
जिनके घर रोटी की आफत होती है
उनको अन्न का भंडार देता हूँ
और उनसे आकाश की सीडियां बनवाता हूँ .
लाखों इटे दब जाती है हैं जमीन के नीचे,
लाखों मजद्दोर बहते है पसीना ,
एक सुंदर महल तैयार होता है ,
और मैं उसका मालिक होता हूँ.
कुछ लोग बहुत मेहनत करते है ,
कुछ लोग बहुत अच्छा सोचते है
और कुछ दोनों पर राज करते है
क्योंकि वे बाज़ार जानते है .
कुछ लोग दुसरे का भला करते है ,
वे सज्जन कहलाते है ,
कुछ नरभक्षी होते है ,
दोनों का मालिक नेता होता है ,
और नेता बाज़ार के गुलाम होते हैं .

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