मैं जीना चाहता हूँ.

एक तरफ जंगल ,एक तरफ झाड़ी
बीच में गहरी खाई
मैं एक सडक से गुरना चाहता हूँ ,
मुझे हर बार श्मशान मिलते है .
एक तरफ घोडा ,एक तरफ नयी गाडी
मै एक अदना सवारी चाहता हूँ
मुझे हर बार बैलगाड़ी मिलते है
एक तरफ महल सारे ,एक तरफ झोपड़ीया ,
एक तरफ बेचैन दुनिया ,एक तरफ कलपती कलियाँ
मैं बीच में अपना घर बनाना चाहता हूँ ,
मुझे हर बार फटकार मिलता है,
एक तरफ राजनीतिक लोग,एक तरफ बेहाल जनता
मैं बीच में एक समाधान निकलना चाहता हूँ ,
मुझे हर बार मार,अपमान मिलते है .
एक तरफ करुक्षेत्र,एक तरफ कर्मभूमि
एक तरफ आदर्श अनंत ,एक तरफ यह रंग-भूमि
मैं बुद्ध का मार्ग अपनाना चाहता हूँ ,
मुझे हर तरफ पाराजीतो के कतार दिखाई देते है .
एक तरफ कलिंग -धरती ,एक तरह अशोक-भूमि
मै एक जिर्जन स्थान बनाना चाहता हूँ ,
मुझे हर बार बाज़ार दिखाई देते है .
एक तरफ अथाह बादल,एक तरफ गहरे अनंत ,
एक तरफ कीचड़-दलदल ,एक तरफ सुन्दर बसंत ,
मैं नभ -धरा बीच एक मकान बनाना चाहता हूँ ,
मुझे हर बार आंदोलित उदगार सुनाई देते है.
एक तरफ रोते लोग,एक तरफ सुबिधायें बेअंत,
मैं तो बस रोटी-कपडा -मकान चाहता हूँ ,
मुझे हर बार बेरोजगार दिखाई देते है .

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