सबेरा आने को हैं .

ऐ ! देख रात ख़त्म हुई
सबेरा आने को हैं .
ये सत्ता और गलियारे जाने को हैं .
बदली छट रही ,सच आ रहा हैं ,
ये मातम का दौर अब जाने को हैं .
ऐ ! देख रात ख़त्म हुई
सबेरा आने को हैं .
शहीदों की बलिदानी बेकार नहीं गयी ,
देख ! अपना अभिमान आने को हैं ,
बच्चो और बुड्डो निश्चिंत रहो ,
अब जवानी का उबाल आने को हैं
ऐ ! देख रात ख़त्म हुई
सबेरा आने को हैं .
मंदिरों ,देवताओं का अपमान बहुत हुआ ,
फूट के बीज का अंकुरण बहुत हुआ ,
लूट का बाज़ार बहुत हुआ ,
अब इन सब पर कहर आने को है ,
ऐ ! देख रात ख़त्म हुई
सबेरा आने को हैं .
हवा अब गर्म हो गयी है ,
रक्त उबाल पर है ,
प्रचंड का आरम्भ हैं ,
अब क्रांति होने को हैं ,
ऐ ! देख रात ख़त्म हुई
सबेरा आने को हैं .

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