ऐसा क्यों होता है

ऐसा क्यों होता है
कि
आप फूल बन जाते है देवता के
आपका सारा बल,ज्ञान
तन, तप,तन्मयता
मन,ह्रदय ,आत्मा
आपकी सच्चाई ,पवित्रता
और ब्रह्मचर्य ,तेज़
समर्पित हो जाता है
किसी कि चरणों में
चेहरा एकाकार हो जाता है
हर पल,हर क्रिया
समाहित हो जाती है
एक साधारण,वजूदहीन
चित्र में .
बच जाता है
बस एक सत्य
एक समर्पण
और एक चेहरा
जो पसन्द नहीं उन लोगो को
जिनके पास इज्जत है,
असीमित प्रतिष्टा ,खानदान
और
समाज,एक से एक तर्क
ज्ञान का भंडार
अध्यात्म का तलवार
और असीमत बल
जो
संहार कर सकता है पल में ,
कुचल सकता है सत्य ,
बदल सकता है भाग्य ,हस्त-रेखाएं
और
बोध करा सकता है आपको
बता सकता है परिणाम
सुना सकता है निर्णय
दे सकता है उपदेश .
मैं जनता हूँ उनके हर मार्ग का सत्य
उनके खानदान का रहस्य
झूठी -प्रतिष्टा का खोखला अहंकार
उनके हर कार्य का दूरगामी परिणाम
मैंने देखा है
उनके अंदर का कुंठित संसार
अपना ही चेहरा खोजते बाज़ार में
अपने काराह को छुपाते होठो बिच ,
और हँसते झूठी हंसी
और
अंतर -द्वन्द उनके ह्रदय का
पश्चताप के आंसू
वास्तिविकता से दूर
सपनो के महल बनाते .
उनको नहीं पता
पवित्रता का अर्थ
प्रतिष्टा का मतलब
अध्यात्म का सार
कलह का कारण,
दुःख का रहस्य
विकास के बाधक तत्व
भगवन का अर्थ
पाप का मतलब
धर्म कि जरुरत
और
कर्म कि महता .

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