मै सच बोलने से डरता हूँ,
मै सच बोलने से डरता हूँ,
क्यों की मेरा इक परिवार है,
और मुझे रोटी कमाना है,
मै कमजोर नहीं हूँ, मजबूर हूँ .
ये मज़बूरी बस मेरी नहीं,सबकी है.
मै सच बोलने से डरता हूँ,
इसलिए लोग मुझे लूट लेते है,
मेरे खून को चूस लेते है,
और जब कुछ बोलता हूँ,
तो जेल में ठूस देते है.
मै सच बोलने से डरता हूँ,
इसलिए मेरे सामने क़त्ल होते है,
बलात्कार और भ्रष्टाचार होते है,
मै डरपोक नहीं हूँ,दहशत में हूँ,
मै ही नहीं ये सारा देश.
मै सच बोलने से डरता हूँ,
क्यों की मै आम आदमी हूँ,
और मेरे में यातना सहने की ताकत नहीं,
झूठ और प्रपंच का सहारा नहीं है मेरे पास,
इसलिए सह लेता हूँ,मै ही नहीं सभी चुपचाप.
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