जीवन

बढता जीवन घटती सांसे,
राह भटकता जाता है,
जिसको सोचू यही सही है,
वही गलत हो जाता है.
जीवन पथ पर राही मिलते ,
पथ बढता जाता है,
जिस पर करता विश्वास अपना,
वही धोखा दे जाता है.
छल -रहित एक दिवस न बीतता ,
सभी मित्र कहलाते है,
जिसको सोचू प्यार देगा ,
वही गम दे जाता है .
रोज़ छाला जाता फिर भी,
मई उसी राह पर चलता हूँ,
मिलता रोज़ दिलासा मुझको,
मै कुछ नहीं कर पाता हूँ.
चलना है जीवन इसलिए चलता हूँ,
आशा और विश्वास का बोझ लिए,
सत्य और सपनो का ,
मिलाजुला फीका सोच लिए.

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