स्वाभिमान की बिक्री आज का सम्मान है

खुशबू -ऐ-जहान की,
बुलंद कर दी आपने ,
रुखी जिन्दगी में ,
रंग भर दी आपने .
डूबते सतह की ,
टूटती धडकनें ,
बुलबुले की जिंदगी पर ,
आज ये अडचने ,
शाम की बदली ,
सुबह की ओस ,
डूबते मुसाफिर की हाथ थम ली आपने .
मुखौटो की जिन्दगी ,
रंग है ,रूप है ,
झूठ का बाज़ार ,सच का दरबार ,
स्वाभिमान की बिक्री आज का सम्मान है ,
रोज के अपमान में रोटी-कपडा -मकान है ,
चेहरे पर चेहरा आज दिखा दी आपने .
चिलचिलाती धुप में ,बर्फ की चट्टानें ,
उधार है जिन्दगी ,भीफ मांगी सांसे ,
मौत के के फरमान का गुमान कौन माने ,
उंगली पकड़ के चलना सिखा दी आपने.

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