बोलो क्यों टूट जाते हो ?
डूब जाते हो ,गर्दन भर पानी में ,
हौसला हार कर रुक जाते हो ,
जहाँ आवाज बुलंद होनी है ,
मूक हो जाते हो ,
बोलो क्यों टूट जाते हो ?
बीच युद्ध में क्यों डर जाते हो,
तलवार तुम्हारी तेज़ है,
फिर निशाना क्यों चूक जाते हो,
रुक जाते हो मझधार में ,
पूछता है सारा जहाँ आज ,
बोलो क्यों टूट जाते हो ?
रुक जाते हो लम्बी दूरी देख कर,
झुक जाते हो भार से,
मिला है जीवन लड़ने को ,
थक जाते हो दिमाग से,
पूछता है सारा जहाँ आज ,
बोलो क्यों टूट जाते हो ?
मंजिल निकल जाती है सामने से,
और तुम छुट जाते हो .
होर्न सुनाई नहीं देती ,
पूछता है सारा जहाँ आज ,
बोलो क्यों टूट जाते हो ?