यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
रात को बिजली नहीं,नींद नहीं,
दिन में पानी नहीं ,चैन नहीं,
काली हवा है ,साँस की बीमारी ,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
शहर में पेड़ नहीं,घर है,
पैसा है,खूब है तहजीब नहीं,
पति है ,पत्नी है संसर्ग नहीं,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
अमीर है जो रोज और अमीर होते है,
गरीब है जो रोज और गरीब होते है,
समाज है टुटा हुआ है,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
यहाँ मर्द है,नपुंसक है,
औरते है जो केवल देह है,
कॉलेज है जो दुकाने है,
घर है जो मकान है,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
यहाँ व्यापारी है जो पैसे के गुलाम है,
मजदुर है जो मालिक के गुलाम है,
कर्मचारी है जो घूसखोरी के गुलाम है,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
यहाँ छात्र है ,निकम्मे है,
छात्राए है बिकाऊ है,शिक्षक है असक्षम है,
यह गाजियाबाद की जिन्दगी है.
Comments
Post a Comment