चाहता तो हूँ

चाहता तो हूँ
यह क्या है जो,
मुझे रोक देता है ,तुन्हें भी,
चाहता तो हूँ
पर जाने कहाँ जा कार रुक जाता हूँ,
और
लौट आता हूँ वहां जहाँ से चला था.
चाहता तो हूँ
परन्तु रस्ते गूम हो जाते है
बार- बार और
मै भटक जाता हूँ वो राह जहाँ ,
हम मिले थे वहां ,
जहाँ से रस्ते अलग होते थे ,
और जहाँ से वादे हो सकते थे ,
फिर से मिलने के .
चाहता तो हूँ
परन्तु दूरियां इतनी बड़ गयी है
कि
लौटना मुस्किल हो रहा है .

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