चेहरे के पीछे का चेहरा
मैंने देखा था एक सागर ,
उसकी गंभीरता ,
धौर्य, साहस
और
उसकी पवित्रता
अथाह प्रेम ,
अथाह गहराई
निरपेक्ष ,सीमाहीन
और
उसका निष्कपट चेहरा
परन्तु
देखा मैंने आज एक सागर
उसके अंदर झांककर
खोखला
पराजित,कुंठित
उसका असीमित घृणा
संसारिक मोह ,तृष्णा
और उसका छोटापन
वैर भावना
और जलता ह्रदय .
एक बार मई चांदनी रात में ,
रातभर चाँद को देखता रहा था ,
अनंत शीतलता
माँ से ज्यादा वास्तल्या,
गुडिया से ज्यादा करुणा
एक आनंदमयी स्नेह
डरो विश्वास
और ममता का अंचल .
परन्तु
देखा मैंने आज चाँद
उसके ह्रदय में समाकर
उसके ह्रदय के ज्वाला को
असहनीय पीड़ा
अनंत अवसाद परत
उसकी बेचैनी
सपनो में बदबदाना
मंदिरा में डूबा चेहरा
सौन्दर्य से घृणा
प्रेम से इर्ष्या
खुद से लड़ने को आमादा
उसका मलिन,तेजविहीन देह
और
उसका बनावटी चेहरा
जिसको वर्षो से देखता आ रहा था .
ऐसा ही एक चेहरा होगा सूर्य का भी
जिसको दुनिया नहीं देख पाती.
शायद इतनी ही ज्वाला
अंचल में छुपा कर
सह लेती है मेरा भार
आह! भी नहीं निकलने देती .
कितनी सायानी है मेरी माँ
सारे परिवार का बोझ लेकर माथे पर
एक सीकन नहीं आने देती
शायद मैं कभी नहीं देख पाउँगा
चेहरे के पीछे का चेहरा
शायद
मैं कभी भी नहीं दूर कर पाउँगा
संसार का दर्द
लोगो की बेबसी
सागर की बेचैनी
चाँद की गर्मी
शायद वो भी मौन रहेंगे
सह लेंगे सब कुछ
कुछ नहीं बोलेंगे
मेरी गुडिया की तरह
और शायद दुनिया ऐसे ही चलती रहेगी
और मैं कुछ नहीं कर पाउँगा .
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