कोई सुने न सुने तो मई क्या करूँ.
जिंदगी बनी है ,बंदगी के लिए
कोई गन्दगी में दुबे दे तो मैं क्या करूँ
हर डगर है ,सफ़र है सौहर के लिए
सौहर ही न माने तो मैं क्या करूँ .
मैं तवायफ हूँ लिखा है हर मोड़ पर ,
कोई दुल्हन बना ले तो मैं क्या करूँ
बदन तो मिला है सृजन के लिए
कोई जबरन मजा ले ले तो मैं क्या करूँ .
जीवन तो बना है बस भजन के लिए
कोई व्यसन में बिता दे तो मैं क्या करूँ .
हर क्षण है ,यौवन है ,जतन के लिए
कोई मदन में मिटा दे तो मैं क्या करूँ .
यौवन है ,मदन है ,अनल ही सही
कोई नंगा नाच बना दे तो मई क्या करूँ .
तन तो बना है बस तपन के लिए ,
कोई गुटका- मंदिरा में खपा दे तो मैं क्या करूँ ,
हर साँस है भजन- कीर्तन के लिए
कोई श्वसन ही सडा ले तो मैं क्या करूँ .
मन तो बना है बस मनन के लिए ,
कोई गगन में उड़ा दे तो मैं क्या करूँ .
नयन तो मिला है दुर्शन के लिए
कोई चुडौल चुरा ले तो मैं करा करूँ.
आजादी मिली थी अमन के लिए,
सुखद सपना के पूरन के लिए,
नव भारत मिला है सबन के लिए ,
कोई आरक्षण अपना ले तो मैं क्या करूँ .
अब कांटे मिले है चुभन के लिए ,
नव नेता मिले है लुटन के लिए,
बलात्कारी मिले है कीर्तन के लिए,
अपनों के लिए ,परिजन के
गहन से गहन गजन के लिए ,
अपना गाँधी मिले न मिले तो मैं क्या करूँ .
मैं समझा था अटल को बिहारी भी है ,
वचन के करम के पुजारी भी है
कृषक के ,युवक के हितकारी भी है ,
अटल है ,अचल है ,अविकारी भी है
बन गए पद भिखारी तो मैं क्या करूँ .
जनता जनार्धन जुआरी भी है ,
बुद्दू ,बिकाऊ ,भिखारी भी है
धीरे से सुनो अरज है हमारी
अपने को पहचानो गरज है तुम्हारी
कोई सुने न सुने तो मई क्या करूँ.
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