सुनामी
एक हवेली पुरानी,
हल्के -हल्के हवा के सहारे ,
आते दुःख में सने गीत,
शांत लहरों कि तरह.
सामने एक नीला तालाब ,
और वहां हंसो का हुजूम,
एक वृद्ध आदमी ,
झूले हुए गाल ,
और आँखों में गहन उदासी आंसू ,
बिना टपके बादला कि तरह .
यह बारह रात दिसंबर की,
गहन अंधकार में हिलते हुए असहाय हाथ,
जैसे बचा न हो कुछ ह्रदय में ,
और जैसे याद आ रही हो कल की रात.
ये सर्द मंद-मंद पवन ,
होती नहीं सहन ,
दिला देती है याद ,
अंदर अंतर में पड़े दाग ,
खुनी तरंगो का बेख़ौफ़ हास्य ,
और गुलाबी चेहरे की छोटी -छोटो आंख.
इन बचे गुलाबो का विहंस ,
तार-तार होती इनकी आशा ,
ये दिसंबर की अंतिम रात,
और सुबह का उदासीन इन्तजार .
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