मौत की आहत खिड़की पर

मौत की आहत खिड़की पर ,
कुण्डी क्यों लगाते हो ?
सारा शहर जल रहा ,
अब धुएं से क्यों घबराते हो ?
बाज़ार उसड चूका ,नीलामी हो चुकी ,
अब तुम क्यों बोली लगाते हो ?

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